सबसे
पहले आप ये जान लीजिये की स्वदेशी गाय और विदेशी जर्सी गाय (सूअर ) की पहचान क्या
है ? देशी और विदेशी गाय को पहचाने की जो बड़ी निशानी है वो ये की
देशी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है जबकि जर्सी गाय की पीठ समतल होती है !
आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया मे भारत को छोड़ जर्सी गाय का दूध को नहीं पीता !
जर्सी गाय सबसे ज्यादा डैनमार्क ,न्यूजीलैंड , आदि
देशो मे पायी जाती है ! डैनमार्क मे तो कुल लोगो की आबादी से ज्यादा गाय है ! और
आपको ये जानकार हैरानी होगी की डैनमार्क वाले दूध ही नहीं पीते ! क्यों नहीं पीते ? क्योंकि
कैंसर होने की संभवना है ,घुटनो कर दर्द होना तो आम बात है ! मधुमेह (शुगर होने का
बहुत बड़ा कारण है ये जर्सी गाय का दूध ! डैनमार्क वाले चाय भी बिना दूध की पीते है
! डैनमार्क की सरकार तो दूध ज्यादा होने पर समुद्र मे फेंकवा देती है वहाँ एक line
बहुत प्रचलित है !
milk is a white poison !
और
जैसा की आप जानते है भारत मे 36000 कत्लखानों
मे हर साल 2 करोड़ 50 गाय
काटी जाती है और जो 72 लाख मीट्रिक टन मांस का उत्पन होता है वो
सबसे ज्यादा अमेरिका और उसके बाद यूरोप और फिर अरब देशों मे भेजा जाता है ! आपके
मन मे स्वाल आएगा की ये अमेरिका वाले अपने देश की गाय का मांस क्यो नहीं खाते ?
दरअसल
बात ये है की यूरोप और अमेरिका की जो गाय है उसको बहुत गंभीर बीमारियाँ है और उनमे
एक बीमारी का नाम है Mad cow disease ! इस बीमारी से गाय के सींघ और पैरों
मे पस पर जाती और घाव हो जाते हैं सामान्य रूप से जर्सी गायों को ये गंभीर बीमारी
रहती है अब इस बीमारी वाली गाय का कोई मांस अगर खाये तो उसको इससे भी ज्यादा गंभीर
बीमारियाँ हो सकती है ! इस लिए यूरोप और अमेरिका के लोग आजकल अपने देश की गाय मांस
कम खाते हैं भारत की गाय के मांस की उन्होने ज्यादा डिमांड है ! क्योंकि भारत की
गायों को ये बीमारी नहीं होती है ! आपको जानकार हैरानी होगी जर्सी गायों को ये
बीमारी इस लिए होती है क्योंकि उसको भी मांसाहारी भोजन करवाया जाता है ताकि उनके
शरीर मे मांस और ज्यादा बढ़े ! यूरोप और अमेरिका के लोग गाय को मांस के लिए पालते
है मांस उनके लिए प्राथमिक है दूध पीने की वहाँ कोई परंपरा नहीं है वो दूध पीना
अधिक पसंद भी नहीं करते !!
तो
जर्सी गाय को उन्होने पिछले 50 साल
मे इतना मोटा बना दिया है की वे भैंस से भी ज्यादा बत्तर हो गई है ! यूरोप की गाय
की जो मूल प्रजातियाँ है holstein friesian ,jarsi ये बिलकुल विचित्र किसम की है उनमे
गाय का कोई भी गुण नहीं बचा है ! जितने दुर्गुण भैंस मे होते हैं वे सब जर्सी गाय
मे दिखाई देते हैं !
उदाहरण
के लिए जर्सी गाय को अपने बचे से कोई लगाव नहीं होता और जर्सी गाय अपने बच्चे को
कभी पहचानती भी नहीं ! कई बार ऐसा होता है की जर्सी गाय का बच्चा किसी दूसरी जर्सी
गाय के साथ चला जाए उसको कोई तकलीफ नहीं !
लेकिन
जो भारत की देशी गाय है वो अपने बच्चे से इतना प्रेम करती है इतना लगाव रखती है की
अगर उसके बच्चे को किसी ने बुरी नजर से भी देखा तो वो मर डालने के लिए तैयार हो
जाती है ! देशी गाय की जो सबसे बड़ी विशेषता है वो ये की वह लाखो की भीड़ मे अपने
बच्चे को पहचान लेती है और लाखो की भीड़ मे वो बच्चा अपनी माँ को पहचान लेता हैं !
जर्सी गाय कभी भी पैदल नहीं चल पाती ! चलाने की कोशिश करो तो बैठ जाती है ! जबकि
भारतीय गाय की ये विशेषता है
उसे कितने भी ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा दो चढ़ती चली जाएगी !
उसे कितने भी ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा दो चढ़ती चली जाएगी !
कभी
आप हिमालय पर्वत की परिक्रमा करे जितनी ऊंचाई तक मनुष्य जा सकता है उतनी ऊंचाई तक
आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! आप ऋषिकेश ,बद्रीनाथ ,आदि
जाए जितनी ऊंचाई पर जाए 8000 -9000 फिट तक आपको देशी गाय देखने को
मिलेगी ! जर्सी गाय को 10 फिट ऊपर चढ़ाना पड़े तकलीफ आ जाती है
जर्सी गाय का पूरा का पूरा स्वभाव भैंस जैसा है बहुत बार ऐसा होता है जर्सी गाय सड़क पर बैठ जाये और पीछे से लोग होरन बजा बजा कर पागल हो जाते है लेकिन वो नहीं हटती ! क्योंकि हटने के लिए जो i q चाहिए वो उसमे नहीं है !!
जर्सी गाय का पूरा का पूरा स्वभाव भैंस जैसा है बहुत बार ऐसा होता है जर्सी गाय सड़क पर बैठ जाये और पीछे से लोग होरन बजा बजा कर पागल हो जाते है लेकिन वो नहीं हटती ! क्योंकि हटने के लिए जो i q चाहिए वो उसमे नहीं है !!
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सामान्य
रूप से ये जो जर्सी गाय उसके बारे मे यूरोप के लोग ऐसा मानते है की इसको विकसित
किया गया है डुकर (सूअर )के जीन से ! भगवान ने गाय सिर्फ भारत को दी है और आपको
सुन कर हैरानी होगी ये जितनी भी जर्सी गाय है यूरोप और अमेरिका मे इनका जो वंश
बढ़ाया गया है वो सब artificial insemination से बढ़ाया गया और आप सब जानते है artificial
insemination मे ये गुंजाइश है की किसी भी जानवर का जीन चाहे घोड़े ,का
चाहें सूअर का उसमे डाल सकते है ! तो इसे सूअर से विकसित किया गया है ! और artificial
insemination से भी उसको गर्भवती बनाया जाता है ये उनके वहाँ पिछले 50 साल
से चल रहा है !!
यूरोप
और अमेरिका के भोजन विशेषज्ञ (nutrition expert ) हैं
! उनका कहना है की अगर जर्सी गाय का भोजन करे तो 15 से
20 साल मे कैंसर होने की संभवना ,घुटनो
का दर्द तो तुरंत होता है ,sugar,arthritis,ashtma और ऐसे 48 रोग
होते है इसलिए उनके देश मे आजकल एक अभियान चल रहा है की अपनी गाय का मांस कम खाओ
और भारत की सुरक्षित गाय मांस अधिक खाओ ! इसी लिए यूरोपियन कमीशन ने भारत सरकार के
साथ समझोता कर रखा है और हर साल भारत से 72 लाख
मीट्रिक टन मांस का निर्यात होता है जिसके लिए 36000 कत्लखाने
इस देश मे चल रहें हैं !!
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तो
मित्रो उनके देश के लोग ना तो आजकल अपनी गाय का मांस खा रहे हैं और ना ही दूध पी
रहें हैं ! और हमारे देश के नेता इतने हरामखोर है की एक तरह तो अपनी गाय का कत्ल
करवा रहें हैं और दूसरी तरफ उनकी सूअर जर्सी गाय को भारत मे लाकर हमे बर्बाद करने
मे लगे है ! पंजाब और गुजरात से सबसे ज्यादा जर्सी गाय है ! और एक गंभीर बात आपको
सुन कर हैरानी होगी भारत की बहुत सी घी बेचने वाली कंपनियाँ बाहर से जर्सी गाय का
दूध import करती है !दूध को दो श्रेणियों मे बांटा गया
है A1 और A2 !
A1 जर्सी का A2 भारतीय देशी गाय का !
तो
होता ये है की इन कंपनियो को अधिक से अधिक रोज घी बनाना है अब इतनी गाय को संभलना
उनका पालण पोषण करना वो सब तो इनसे होता नहीं ! और ना ही इतनी गाय ये फैक्ट्री मे
रख सकते है तो ये लोग क्या करते है डैनमार्क आदि देशो से A1 दूध
(जर्सी गाय ) का मँगवाते है powder (सूखा
दूध )के रूप मे ! उनसे घी बनाकर हम सबको बेच रहें है ! और हम सबकी मजबूरी ये है की
आप इनके खिलाफ कुछ कर नहीं सकते क्योंकि भारत मे कोई ऐसा कानून नहीं बना जो ये
कहता है की जर्सी गाय का दूध A1 नहीं
पीना चाहिए ! अगर कानून होगा तो ही आप कुछ करोगे ना ? यहाँ
A1 - को जाँचने की लैब तक नहीं ! नेता देश बेचने
मे मस्त हैं
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तो आप सबसे निवेदन है की आप देसी गाय का ही दूध पिये उसी के गोबर से राजीव भाई द्वारा बताए फार्मूले से खाद बनाए और खेती करे ! देशी गाय की पहचान हमने ऊपर बताई थी की उसकी पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! दरअसल ये हम्प ही सूर्य से कुछ अलग प्रकार की तिरंगे लेता है वही उसके दूध ,मूत्र और गोबर को पवित्र बनाती है जिससे उसमे इतने गुण है ! गौ माता सबसे पहले समुन्द्र मंथन से निकली थी जिसे कामधेनु कहते है गौ माता को वरदान है की इसके शरीर से निकली को भी वस्तु बेकार नहीं जाएगी ! दूध ,हम पी लेते है ,मूत्र से ओषधि बनती है ,गोबर से खेती होती है ! और गोबर गैस गाड़ी चलती है , बिजली बनती है ! सूर्य से जो किरणे इसके शरीर मे आती है उसी कारण इसे दूध मे स्वर्ण गुण आता है और इसके दूध का रंग स्वर्ण (सोने जैसा होता है ) ! और गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !
तो आप सबसे निवेदन है की आप देसी गाय का ही दूध पिये उसी के गोबर से राजीव भाई द्वारा बताए फार्मूले से खाद बनाए और खेती करे ! देशी गाय की पहचान हमने ऊपर बताई थी की उसकी पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! दरअसल ये हम्प ही सूर्य से कुछ अलग प्रकार की तिरंगे लेता है वही उसके दूध ,मूत्र और गोबर को पवित्र बनाती है जिससे उसमे इतने गुण है ! गौ माता सबसे पहले समुन्द्र मंथन से निकली थी जिसे कामधेनु कहते है गौ माता को वरदान है की इसके शरीर से निकली को भी वस्तु बेकार नहीं जाएगी ! दूध ,हम पी लेते है ,मूत्र से ओषधि बनती है ,गोबर से खेती होती है ! और गोबर गैस गाड़ी चलती है , बिजली बनती है ! सूर्य से जो किरणे इसके शरीर मे आती है उसी कारण इसे दूध मे स्वर्ण गुण आता है और इसके दूध का रंग स्वर्ण (सोने जैसा होता है ) ! और गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !
कल
से ही देशी गाय का दूध पिये अपने दूध वाले भाई से पूछे वो किस गाय का दूध लाकर
आपको दे रहा है (वैसे बहुत से दूध वालों को देशी -जर्सी गाय का अंतर नहीं पता होगा
) आप बता दीजिये दूध देशी गाय का ही पिये ! और घी भी देशी गाय का ही खाएं !! गाय
के घी के बारे मे अधिक जानकारी के लिए ये जान लीजिये !
गाय
का घी मुख्य रूप से 2 तरह का है एक खाने वाला घी है और दूसरा पंचग्व्या नाक मे
डालकर इलाज करने वाला ! ( पंचग्व्या घी की लागत कम होती है क्योंकि 2
-2 बूंद नाक मे या नाभि मे पड़ता है 48 रोग
ठीक करता है ( 8 से 10 हजार रूपये लीटर बिकता है ) लेकिन 10
ML ही महीना चल जाता है ! इसको असली विधि जो आयुर्वेद मे लिखी
उसी ढंग से बनाने वाले भारत मे ना मात्र लोग है !
एक गुजरात मे भाई है dhruv dave जी वैसे वो सबको नहीं बेचते केवल रोगी को ही देते हैं लेकिन फिर भी कभी एक बार इस्तेमाल करने की इच्छा हो तो आप email से संपर्क कर सकते हैं davedhruvever@gmail.com अगर उत्पादन मे हुआ तो शायद आपको मिल जाएँ !
एक गुजरात मे भाई है dhruv dave जी वैसे वो सबको नहीं बेचते केवल रोगी को ही देते हैं लेकिन फिर भी कभी एक बार इस्तेमाल करने की इच्छा हो तो आप email से संपर्क कर सकते हैं davedhruvever@gmail.com अगर उत्पादन मे हुआ तो शायद आपको मिल जाएँ !
आयुर्वेद
मे खाने वाला गाय के दूध का घी निकालने की जो विधि लिखी है उस विधि से आप घी निकले
तो आपको 1200 से 2000 रुपए
किलो पड़ेगा ! क्योकि 1 किलो घी के लिए 25 से
30 लीटर दूध लग जाता है ! महंगा होने का कारण ये
भी है की देशी गाय की संख्या काम होती जा रही है कत्ल बहुत हो रहा है वैसे तो यही
घी सबसे बढ़िया है ! लेकिन एक दूसरे ढंग से भी आजकल निकालने लग गए हैं ! जिससे दूध
से सीधा क्रीम निकालकर घी बनाया जाता है ! अब समस्या ये है की लगभग सभी कंपनियाँ
या तो भैंस का घी बेचती है या गाय का घी बोलकर जर्सी का बेच रही है !
आपको
अगर घी खाना ही है तो भारत की सबसे बड़ी गौशाला - विश्व की भी सबसे बढ़ी गौशाला वो
है राजस्थान मे उसका नाम है पथमेढ़ा गौ शाला ! उनका घी खा सकते हैं पथमेढ़ा गौशाला
मे 3 लाख देशी गाय है ! इनके घी की सबसे बड़ी विशेषता है ये है की
ये देशी गाय का घी ही बेचते हैं ! बस अंतर ये है की यह क्रीम वाले ढंग से निकाला
बनाया जाता है लेकिन फिर भी भैंस और जर्सी सूअर के घी की तुलना मे बहुत बहुत बढ़िया
है ! लेकिन इसका मूल्य साधारण घी से थोड़ा ज्यादा है ये 1 लीटर
600 रूपये मे उपलब्ध है ! भगवान की अगर आप पर
आर्थिक रूप से ज्यादा कृपा तो आप देशी गाय ही घी खाएं !! कम खा लीजिये लेकिन जर्सी
का कभी मत खाएं !! और दूध भी हमेशा देशी गाय का ही पिये !
और
अंत मे एक और बात जान लीजिये अब इन विदेशी लोगो को भारत की गाय की महत्ता का अहसास
होने लगा है आपको जानकर हैरानी होगी भारतीय नस्ल की सबसे बढ़िया गाय( गीर गाय ) को
जर्मनी वाले अपने देश मे ले जाकर इनका वंश आगे बढ़ाकर 2 लाख
डालर (लगभग 1 करोड़ की एक गाय बेच रहें है !
जबकि
भारत मे ये गीर गाय सिर्फ 5000 ही रह गई है !! तो मित्रो सबसे पहला कार्य
अगर आप देश के लिए करना चाहते हैं तो गौ रक्षा करें गौ रक्षा ही भारत रक्षा है !!
गाय का घी
·
गाय का घी नाक में डालने से
पागलपन दूर होता है।
·
गाय का घी नाक में डालने से
एलर्जी खत्म हो जाती है।
·
गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
·
(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
·
गाय का घी नाक में डालने से
कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही
ठीक हो जाता है।
·
नाक में घी डालने से नाक की
खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है।
·
गाय का घी नाक में डालने से
कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
·
गाय का घी नाक में डालने से
बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
·
गाय के घी को नाक में डालने
से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
·
हाथ पाव मे जलन होने पर गाय
के
·
घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है।
·
हिचकी के न रुकने पर खाली
गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
·
गाय के घी का नियमित सेवन
करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
·
गाय के घी से बल और वीर्य
बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
·
गाय के पुराने घी से बच्चों
को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
·
अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
·
हथेली और पांव के तलवो में
जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
·
गाय का घी न सिर्फ कैंसर को
पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के
फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से
रोकता है।
·
जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक
की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
·
देसी गाय के घी में कैंसर से
लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
·
घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है.
फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
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