बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

डायबिटीज:

कृप्या अपना कीमती समय 5 मिनट देकर
इसको एक बार जरूर पढ़ें,
डायबिटीज:
मधुमेह मेटाबॉलिक बीमारियों का एक समूह
होता है जिसमें रक्त में
शर्करा की मात्रा की ज्यादा हो जाती है।
डायबिटीज एक मेटाबॉलिक बीमारी
है। डायबिटीज होने के दो कारणों में
पेनक्रियाज द्वारा जरुरी मात्रा में
इंसुलिन न बना पाना या शरीर में मौजूद
सेल्स बनने वाले इंसुलिन का उपयोग
करने में असमर्थ हो जाते हैं। डायबिटीज तीन
प्रकार की होती है।
1. Type-1 : इसमें शरीर में जरुरी मात्रा में
इंसुलिन बनना बंद हो जाता
है। इसका कारण अज्ञात है।
2. Type-2 : इसमें पेनक्रियाज द्वारा इंसुलिन
का उत्पादन सही मात्रा में
किया जाता है लेकिन शरीर में मौजूद सेल्स
इस इंसुलिन का उपयोग नहीं कर
पाते। टाइप-2 डायबीटीज के लिए
ज्यादा वजन और व्यायाम
की कमी को प्रमुख
कारण समझा जाता है।
3. गेस्टेशनल : यह केवल गर्भवती महिलाओं में
ही पाया जाता है जिसमें
मधुमेह से संबंधित किसी भी प्रकार
की समस्या या पारिवारिक पृष्ठभूमि के न
होने पर भी रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़
जाता है।
इसका सही उपचार न किए जाने पर मरीज
कोमा में भी जा सकता है साथ ही साथ
हृदय रोग, हार्ट अटैक, पैर में अल्सर और
आंखों की रोशनी प्रभावित होना
आदि लक्षण सामने आते हैं। टाइप-1 के
मरीजों में बीमारी के लक्षण जैसे वजन
कम हो जाना, ज्यादा बार पेशाब आना,
प्यास ज्यादा लगना और भूख बढ़ जाना
कुछ हफ्तों या महीनों में सामने आ जाते हैं
वहीं दूसरी ओर टाइप-2 के
लक्षण (आंखों में धुंधलापन,सिरदर्द,
बेहोशी,चोट लगने पर ठीक होने में
ज्यादा समय लगना और त्वचा में खिंचाव
महसूस होना) काफी समय बीत जाने पर
सामने आते हैं। इस बीमारी की रोकथाम और
इलाज में पौष्टिक खानपान,
व्यायाम, तंबाकु का सेवन न करना, रक्तचाप
पर नियंत्रण शामिल है परंतु
इसके सही इलाज इसके टाइप जानने के बाद
ही संभव है।
टाइप1 डायबिटीज के लिए इंसुलिन के
इंजेक्शन दिए जाते हैं। टाइप-2
डायबिटीज का इलाज दवाईयों के उपयोग
से संभव है और कभी-कभी इंसुलीन के
इंजेक्शन की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
टाइप-2 के मरीजों में अधिक वजन काफी
खतरनाक है और इनके इलाज में
सर्जरी द्वारा वजन कम करना भी शामिल
है।
गेस्टशनल डायबिटीज में समस्या बच्चे के जन्म
के बाद सामान्य तौर पर स्वतः
ही खत्म हो जाती है।
डायबिटीज भारत में महामारी का रुप ले
रही है। यह बीमारी 62 मिलियन से
ज्यादा लोगों में फैल चुकी है। साल 2030 तक
भारत में 79.4 मिलियन लोग इस
बीमारी का शिकार होंगे। भारत में
ग्रामीण जनसंख्या में पाई जाने वाले
मरीजों की संख्या में शहरी क्षेत्रों में होने
वाले मरीजों की एक तिहाई
है। बीते वर्ष डायबिटीज ने अपने बढ़ने के स्पष्ट
और खतरनाक संकेत दिए
हैं।
आप सभी से हाथ जोड़ कर विनती है कि इस
मैसेज को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें !
आपके एक share से बहुत से
लोगो का भला हो सकता है !
भगवान आपकी सहायता करे ....
धन्यवाद ।



डायबिटीज के लिए सरल
देशी नुस्खे
डायबिटीज अब उम्र, देश व
परिस्थिति की सीमाओं को लांघ
चुका है। इसके
मरीजों का तेजी से
बढ़ता आंकड़ा दुनियाभर में चिंता का विषय बन चुका है।
जानते हैं कुछ देशी नुस्खे मधुमेह रोगियों के
लिए -
नीबू: मधुमेह के मरीज
को प्यास अधिक लगती है। अतः बार-बार
प्यास लगने की अवस्था में नीबू
निचोड़कर पीने से प्यास
की अधिकता शांत होती है।
खीरा: मधुमेह के
मरीजों को भूख से थोड़ा कम
तथा हल्का भोजन लेने की सलाह
दी जाती है। ऐसे में बार-बार
भूख महसूस होती है। इस स्थिति में
खीरा खाकर भूख मिटाना चाहिए।
गाजर-पालक : इन रोगियों को गाजर-पालक का रस मिलाकर
पीना चाहिए। इससे
आंखों की कमजोरी दूर
होती है।
शलजम : मधुमेह के रोगी को तरोई,
लौकी, परवल, पालक,
पपीता आदि का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए।
शलजम के प्रयोग से भी रक्त में स्थित
शर्करा की मात्रा कम होने
लगती है। अतः शलजम
की सब्जी, पराठे, सलाद
आदि चीजें स्वाद बदल-बदलकर ले सकते
हैं।
जामुन : मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक
औषधि है। जामुन को मधुमेह के
रोगी का ही फल कहा जाए
तो अतिश्योक्ति नहीं होगी,
क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस
और गूदा सभी मधुमेह में बेहद फायदेमंद
हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन औषधि के रूप में
खूब करना चाहिए।
जामुन की गुठली संभालकर
एकत्रित कर लें। इसके बीजों जाम्बोलिन
नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने
से रोकता है। गुठली का बारीक
चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन
बार, तीन ग्राम की मात्रा में
पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शुगर
की मात्रा कम होती है।

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