बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

गेहूं के जवारे :

गेहूं के जवारे :
पृथ्वी की संजीवनी बूटी
प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें
दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से
ही प्रकृति की एक अनमोल देन
है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे
संजीवनी बूटी भी कहा है,
क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें
इसका सेवन लाभ नहीं देता हो।
यदि किसी रोग से रोगी निराश है
तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है।
गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग
निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार
नहीं वरन् अमृत
का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में
सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध
आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार
क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व)
को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है।
गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार
संबंधी रोगों, रक्त
की कमी, उच्च रक्तचाप,
सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस,
स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन
संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर,
आंतों की सूजन, दांत
संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से
खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा,
किडनी संबंधी रोग, सेक्स
संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के
रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे
रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे
अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग
हो तो वर्तमान में चल
रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ
इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त
किया जा सकता ह

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