सोमवार, 7 सितंबर 2015

दमा (Asthma)

दमा (Asthma)
आज बहुत से लोग सांस की बीमारी से ग्रसित हैं और उनके पास कोई हल नहीं हैं, इसलिए ये पोस्ट उनके लिए रामबाण हैं, तो आप इसको ज़रूर शेयर कीजिये।
दमा (Asthma) आज के प्रदूषण भरे वातावरण की देन हैं।
दमा वस्तुतः एलर्जी के कारण होता है। जब श्वसनी (bronchus) में हवा भर जाता है तब फेफड़ों में सूजन होने लगता है जिसके फलस्वरूप साँस लेने में मुश्किल होने लगती हैं। फेंफड़ो के अंदर जाने वाला वायु मार्ग छोटा या संकीर्ण हो जाने के कारण दमा का एटैक होता है। तब लोग सामान्य साँस भी जोर-जोर से लेने लगते हैं और नाक से जब साँस लेना दूभर हो जाता है तब मुँह से साँस लेने लगते हैं। दमा के रोगी को साँस लेने से ज़्यादा साँस छोड़ने में मुश्किल होती है। एलर्जी के कारण श्वसनी में बलगम पैदा हो जाता है जो कष्ट को और भी बढ़ा देता है। एलर्जी के कारण दमा होने के बहुत से कारणों में से कुछ इस प्रकार है-
• घर के धूल भरे वातावरण के कारण
• घर के पालतू जानवरों के कारण
• रास्ते के धुँए और धूल के कारण
• सुगंधित सौन्दर्य (perfumed cosmetics) प्रसाधनों के कारण
• सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और साइनसाइटिस (sinusitis) के संक्रमण के कारण
• ध्रूमपान करने के कारण
• अधिक मात्रा में शराब पीने के कारण
• व्यक्ति विशेष के कुछ विशेष खाद्द-पदार्थों से एलर्जी के कारण
• महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण
• कुछ विशेष प्रकार के दवाओं के कारण
• सर्दी के मौसम में ज़्यादा ठंड पड़ जाने के कारण
एलर्जी के बिना भी दमा का रोग शुरू हो सकता हैं-
• तनाव या भय के कारण
• अतिरिक्त मात्रा में प्रोसेस्ड या जंक फूड खाने के कारण
• ज़्यादा नमक खाने के कारण
• आनुवांशिकता (heredity) के कारण आदि।
लक्षण-
दमा के लक्षण की बारे में बात करते ही पहली बात जो मन में आती है, वह है साँस लेने में कठिनाई। दमा का रोग या तो अचानक शुरू होता है या खाँसी, छींक या सर्दी जैसे एलर्जी वाले लक्षणों से शुरू होता है।
• साँस लेने में कठिनाई होती है
• सीने में जकड़न जैसा महसूस होता है
• दमा का रोगी जब साँस लेता है तब एक घरघराहट जैसा आवाज होती है
• साँस तेज लेते हुए पसीना आने लगता है
• बेचैनी-जैसी महसूस होती है
• सिर भारी-भारी जैसा लगता है
• जोर-जोर से साँस लेने के कारण थकावट महसूस होती है
• स्थिति बिगड़ जाने पर उल्टी भी हो सकती है आदि।
घरेलु उपचार-
1. एक लीटर पानी में दो बड़ा चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालें, उसके बाद इसको छान लें। दो बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट एक छलनी में डालकर उस रस निकाल कर मेथी के पानी में डालें। उसके बाद एक चम्मच शुद्ध शहद इस मिश्रण में डालकर अच्छी तरह से मिला लें। दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए। पढ़े- वायरल फीवर से राहत पाने के छह घरेलु उपचार
2. दो छोटे चम्मच आंवला का पावडर एक कटोरी में ले और उसमें एक छोटा चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें। हर रोज सुबह इस मिश्रण का सेवन करें।
3. एक कटोरी में शहद लें और उसको सूंघने से दमा के रोगी को साँस लेने में आसानी होती है।
4. ज़रूरत के अनुसार सरसों के तेल में कपूर डालकर अच्छी तरह से गर्म करें। उसको एक कटोरी में डालें। फिर वह मिश्रण थोड़ा-सा ठंडा हो जाने के बाद सीने और पीठ में मालिश करें। दिन में कई बार से इस तेल से मालिश करने पर दमा के लक्षणों से कुछ हद तक आराम मिलता है।
5. लहसुन फेफड़ो के कंजेस्चन को कम करने में बहुत मदद करता है। दस-पंद्रह लहसुन का फाँक दूध में डालकर कुछ देर तक उबालें। उसके बाद एक गिलास में डालकर गुनगुना गर्म ही पीने की कोशिश करें। इस दूध का सेवन दिन में एक बार करना चाहिए।
6. गरमागरम कॉफी पीने से भी दमा के रोगी को आराम मिलता है। क्योंकि यह श्वसनी के मार्ग को साफ करके साँस लेने की प्रक्रिया को आसान करता है।
7. एक कटोरी में एक छोटा चम्मच अदरक का रस, अनार का रस और शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें। उसके बाद एक बड़ा चम्मच इस मिश्रण का सेवन दिन में चार से पाँच बार करने से दमा के लक्षणों से राहत मिलती है।
8. अर्जुन की छाल का चूर्ण एक छोटा चम्मच गाय के दूध में या पानी में इतना उबाले के पानी आधा रह जाए, और इस को हर रोज़ रात को सोते समय पिए। इसमें एक चुटकी भर दाल चीनी भी डाल दे।
9. जब भी दूध पिए देसी गाय का ही पिए और इसमें अम्बा हल्दी एक चुटकी डाल कर पिए।
10. इस के साथ में आज कल बाजार में कुछ आयुर्वेद कंपनिया कुछेक प्रोडक्ट ले कर आई हैं, जिन्हे मैंने खुद कई मरीजों पर इस्तेमाल किया हैं और उस के बहुत ही पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं, आप ये भी ज़रूर इस्तेमाल करे। ये हैं एलो वेरा, नोनी जूस, तुलसी, सी बकथॉर्न फ्रूट जूस, और स्पिरिलुना।
सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में ३० मिली एलो वेरा, ३० मिली नोनी जूस, १० मिली सी बकथॉर्न जूस डाल कर एक गोली स्पिरिलुना खाइये। ये ३ महीने तक करना हैं, और ये प्रयोग अनेक लोगो पर सफलता पूर्वक आज़माया हैं।
इनकी डिमांड हमारे पास बहुत आती हैं बहुत सी कंपनिया इनको बना रही हैं, और हम भी थोड़े दिनों में ये प्रोडक्ट आपको ऑनलाइन प्रोवाइड करवा देंगे। अगले महीने तक हम ऑनलाइन आयुर्वेद का स्टोर खोल रहे हैं जहा सभी भारतीय आयुर्वेद की कम्पनियो के सभी उत्पाद आपको मिल जाएंगे।
साधरणतः जाड़े के मौसम में ठंड के कारण दमा का रोग भयंकर रूप धारण करता है। इसलिए इस समय इन घरेलु उपचारों के सहायता से दमा रोग काबु में किया जा सकता है, साथ ही कुछ बातों पर ध्यान से दमा रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है-
• घर को हमेशा साफ रखें ताकि धूल से एलर्जी की संभावना न हो
• योग-व्यायाम और ध्यान (meditation) के द्वारा खुद को शांत रखें
• मुँह से साँस न लें क्योंकि मुँह से साँस लेने पर ठंड भीतर चला जाता है जो रोग को बढ़ाने में मदद करता है।
लेखिका : ऐश्वर्या कँवर।
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मस्सा निकालने के लिए

मस्सा निकालने के लिए
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त्वचा पर पेपीलोमा वायरस के कारण छोटे, खुरदुरे कठोर पिंड बन जाते हैं जिसे मसा कहते हैं। मस्से काले और भूरे रंग के होते हैं। मस्से 8 से 12 प्रकार के होते हैं। कई बार बढ़ती उम्र के साथ कई जगह शरीर पर कई तरह के मस्से निकल आते हैं।
चुना १रुपये का पान वाले से ले ! थोडा सा कपडे धोने का सोडा ले! मस्से की साईज के हिसाब से सम मात्रा मे चुना व सोडे को मिलाए ,यदि सुखा रहे तो एक-दो बुंद पानी मिला कर गिलाकरे जिससे मस्से केउपर लग सके ! माचिश की तिल्ली कीसहायता से लगाये ! ये ध्यान रहे की चुना मस्से के उपर ही लगे,चमडी पर जरा भी ना लगे ! चुना सुखने के बाद स्वत निकल जायेगा ! मस्सा चाहे गाल पर हो या नाक या आख पर एक बार के उपयोग मात्र से निकल जायेगा यदि नही निकले तो दोबारा after 2 or 3 days दोहराये!
और ये नुस्खा हमारे एक मित्र श्री मिश्री लाल जी मीणा द्वारा अनुभूत हैं।

छोटे बच्‍चों के सर्दी, जुकाम, छींक, खांसी और बुखार सभी के लिए 1 औषधि।

छोटे बच्‍चों के सर्दी, जुकाम, छींक, खांसी और बुखार सभी के लिए 1 औषधि।

सीतोपलादी चूर्ण ।
सीतोपलादी चूर्ण आयुर्वेद का बहुत प्रसिद्ध औषधि है। जब सर्दी, खांसी, बुखार 1 साथ ये सब हो जायें । तो उसके लिए सीतोपलादी चूर्ण प्रयोग करें।
औषधि — सीतोपलादी चूर्ण 1 चुटकी (1/4 चम्‍मच) शहद में मिलाकर प्रात: और सायंकाल खाली पेट चटायें। इससे छोटे बच्‍चों के सर्दी, जुकाम, छींक, खांसी और बुखार ठीक हो जायेगी। बडे लोगों के लिए 1/2 चम्‍मच चूर्ण का प्रयोग करें।
बनाने की विधि-
नीचे बताई गयी चीजे किसी भी किराना या पंसारी की दुकान पे आराम से मिल जायेगी।
1- मिश्री-16 भाग 160 g.m
2-वंशलोचन – 8 भाग 80 g.m
3-पिप्पली-4 भाग 40 g.m
4- इलाइची- 2 भाग 20 g.m
5-दालचीनी- 1 भाग 10 g.m इन सब को बरीक पीस ले।
और बना गया आप का सितोपलादि चूर्ण
ये मधु या घी के साथ लिया जाता है
2 से 4 ग्राम की मात्रा में ले।
वैसे ये किसी भी मेडीकल स्टोर पे उप्लब्द है ।

भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में हेल्थी रहने के लिए अपनाइये ये टिप्स।

भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में हेल्थी रहने के लिए अपनाइये ये टिप्स।

आज कल की महिलाएं अपनी सेहत को ले कर कुछ ज़्यादा चिंतित रहती हैं, मगर वो कुछ सार्थक प्रयास नहीं कर पाती। उनमे जागरूकता की कोई कमी नहीं हैं। लेकिन फिर भी जब बात अपना ख्याल रखने की आती है तो, वही लापरवाही। कही आप भी इन्हीं में से एक तो नहीं । ऐसे में रेगुलर बेसिस पर महिला चिकित्सक को विजिट करना भी मुश्किल है। लेकिन कुछ ख़ास तरीकों को अपनाया जाए तो आप घर पर ही अपना ख़ास ख़याल रख सकती हैं।आइये आपको रूटीन में शामिल करने के लिए कुछ टिप्स बताते हैं जिन्हें अपना कर आप हेल्थी रह सकती हैं।
आइये आपको रूटीन में शामिल करने के लिए कुछ टिप्स बताते हैं जिन्हें अपना कर आप हेल्थीरह सकती हैं।
1- लिफ्ट छोड़कर अपनाएं सीढ़ी (Prefer Stairs rather than Lift) आप भले जल्दी में हैं फिर भी अपने रूटीन में लिफ्ट छोड़कर सीढ़ी से उतारना चढ़ना करें। इससे आपका ह्रदय स्वस्थ रहेगा साथ ही आपके पैरों की बढ़िया एक्सरसाइज होगी।
2- ब्रेकफास्ट (Breakfast) ब्रेक फ़ास्ट को अपने रूटीन का जरूरी हिस्सा बनाएं। ब्रेकफास्ट आपका मेटाबोलिज्मबढ़ाता है और आपको पूरे दिन एनर्जी देता है। ब्रेकफास्ट ना करने वाली औरतें ब्रेकफास्ट करने वाली औरतों से ज्यादा मोटी होती हैं इसलिएहेल्थी ब्रेकफास्ट जरूर करें।
3- हॉबी के लिए निकाले वक्त (Spare time for Hobby) हर किसी की कोई न कोई हॉबी जरूरहोती है। किताबें पढ़ना, पेंटिंग बनाना, लिखना, क्राफ्टबनाना कुछ भी। आप भी खाली समय में अपनी हॉबी को जरूर करें। इससे आपका मन खुश रहेगा जिसका सकारात्मक प्रभाव् आपके पूरे शरीर और दिमाग पर पड़ेगा।
4- वजन को मॉनिटर करें (Monitor Weight Regularly) समय समय पर अपने वजन को मॉनिटर करें। अपनी हाइट के अनुसार वेटको बनाये रखें। यदि वजन बढ़ रहा है तो खाना छोड़ने की जगह हेल्थी वे यानी की व्यायाम, फ्रूट डाइट आदि के जरिये वजन को कण्ट्रोल करें।
5- पोस्चर का ध्यान रखें (Right Posture) आप किस तरह बैठी हैं, किस तरह खड़ी हो रही हैं, इसका ध्यान रखें। कई महिलाएं बैठते और खड़े होते समय कंधे झुका लेती हैं या कमर निकाल लेती हैं जिसका असर हड्डियों पर पड़ता है। राईट पोस्चर में बैठने उठने से आपकी कमर और गर्दन रिलैक्स रहती है और हड्डियों पर कम दबाव पड़ता है।
6- दूध और फल है जरूरी (Milk and Fruit) रूटीन बना लें कि रात को सोते समय एक गिलास दूध पीना ही है औरसुबह ब्रेकफास्ट में एक फ्रूट खाना ही है। दूध से आपकी हड्डियों को पर्याप्त कैल्शियम मिलता है जो उम्र बढ़ने के साथ बेहद जरूरी है।
7- हाइजीन का रखें ध्यान (Hygiene) पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखें। अंडर गारमेंट्स हमेशा साफ हों बेहतर है कॉटन के हो। पीरियड्सके समय समय समय पर पेड बदलती रहें तथा साफ सफाई का ध्यान रखें। प्यूबिक हेयर की सफाई भीजरूरी है जिससे आप इन्फेक्शन से बची रहें।
8- ब्रैस्ट टेस्ट करती रहें (Check Breasts Regularly) क्योंकि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ गया है इसलिए समय समय पर मॉनिटरिंग जरूरी है। इसके लिए आप खुद समय समय पर ब्रेस्ट टेस्ट करती रहें। इसके लिए दोनों हाथों कोऊपर उठाकर साइज़ में फर्क तो नहीं है इसकी जांच करें। हाथ से छूकर देखें कि कही गाँठ तो नही है और कही से स्किन कट या कोई रिसाव तो नही हो रहा।
9- सैर पर जाएं (Walking) एक्सरसाइज नहीं कर पाती तो सुबह आधे घंटे ही सही टहलने की आदत डालें। सुबह की खुली और ताज़ी हवा में टहलने से रक्त संचार ठीक होता है साथ ब्रेन को भी ऑक्सीजन मिलती है जिससे दिमाग और शरीर दोनों ही एक्टिवहोते हैं।
10- रूटीन बनाएंहर चीज़ के लिए रूटीन बनाये और समय तय करें। इससे आप पर किसी भी काम का प्रेशर नही रहेगा और आप तनाव में नही आएँगी। काम समय से निपटेगा और आप खुश रहेंगी।
11- हँसना ना भूलें (Laughing)चाहें जो भी हो खिलखिलाना ना भूलें। हँसना लाख बीमारी की एकदवा है। हँसने से फील गुड हार्मोन्स का रिसाव होता है जिससे मस्तिस्क और बॉडी दोनों हेल्थी रहते हैं।
12- महिला चिकित्सक से मिलें (Visit Gynecologist Regularly)छह माह में एक बार आप बीमार ना भी हो तब भी अपनी गायनी से जरूर मिलें। छह माह में एक बार अपनी जांच जरूर करायें और जानकारी बढ़ायें। हेल्थी न्यूज़ को लेकर अपडेट रहें।

बुखार से बचने के लिए अपनाये ये घरेलु नुस्खे।

बुखार से बचने के लिए अपनाये ये घरेलु नुस्खे।

बुखार, आम बीमारी है तथा प्रत्येक घर-व्यक्ति को अनायास प्रभावित करता है। बुखार शरीर का कुदरती सुरक्षा तंत्र है जो  संक्रमण (इन्फ़ेक्शन)  से मुक्ति दिलाता है\ इसलिये बुखार कोई बीमारी नहीं है।  शरीर का बढा हुआ  तापमान रोगाणुओं के प्रतिकूल होता है।  लेकिन ज्वर जब 40 डीग्री  सेल्सियस अथवा 104 डीग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा हो जाता है तो समस्या गंभीर हो जाती है।
बुखार अगर 102 डीग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा न हो तो यह स्थिति  हानिकारक  नहीं  है।  इससे शरीर के विजातीय पदार्थों का निष्कासन होता है  और शरीर को संक्रमण से लडने में मदद मिलती है।मामूली बुखार होते ही घबराना और गोली-केप्सूल  लेना  उचित नहीं है।
बुखार मे अधिक पसीना होकर शरीरगत जल कम हो जाता है  इसकी पूर्ति के लिये उबाला हुआ पानी और फ़लों का जूस पीते रहना चाहिये। नींबू पानी बेहद लाभकारी है। इससे अधिक पेशाब और पसीना होकर शरीर की  शुद्धि होगी।जहरीले पदार्थ बाहर निकलेंगे।
यदि बुखार किसी इन्फेक्शन के कारण होता है तो ऐलोपौथिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार रोगी को एण्टीबायोटिक दवाई दी जाती है और कोर्स के रूप में तब तक दवा दी जाती है, जब तक इनफेक्शन समाप्त नहीं हो जाता। आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति रोग को दबाने की नहीं, रोग को कारण सहित जड़ से उखाड़कर फेंकने की है। आयुर्वेद ने ज्वर के 8 भेद बताए हैं यानी ज्वर होने के 8 कारण माने हैं।
1. वात 2. पित्त 3. कफ 4. वात पित्त 5. वात कफ 6. पित्त कफ 7. वात पित्त कफ। इनके दूषित और कुपित होने से तथा 8. आगन्तुक कारणों से बुखार होता है।
निज कारण शारीरिक होते हैं और आगंतुक कारण बाहरी होते हैं। निज एवं आगन्तुक ज्वर के भेद निम्नलिखित हैं-
निज : 1. मिथ्या आहार-विहार करने से हुआ ज्वर। 2. शरीर में दोष पहले कुपित होते हैं लक्षण बाद में प्रकट होते हैं। 3. दोष भेद से ज्वर 7 प्रकार का होता है। 4. चिकित्सा दोष के अनुसार होती हैं।
आगन्तुक : 1. अभिघात, अभिषंग, अभिचार और अभिशाप के कारण ज्वर का होना। 2.शरीर में पहले लक्षण प्रकट होते हैं, बाद में दोषों का प्रकोप होता है। 3. कारण भेद से अनेक प्रकार का होता है। 4. चिकित्सा का निर्णय कारण के अनुसार होता है।

ऐसे में घर में किये जाने वाले उपचार। 
ठंडे पानी की पट्टी : – ज्वर 104 या अधिक डिग्री तक पहुंच गया हो तो सिर पर ठंडे पानी की पट्टी बार-बार रखने, पैरों के तलुओं में लौकी का गूदा पानी के छींटे मारते हुए घिसने और बाद में दोनों तलुओं में 1-1 चम्मच शुद्ध घी मसलकर सुखा देने से ज्वर उतर जाता है या हल्का तो होता ही है।
पीपल की 3 या 5 पत्तिया ले, पत्तियों की डंडी तोड़ दे, इन पत्तो को १ गिलास पानी में उबाले और एक चौथाई रहने पर इस को गुनगुना ही रोगी को पिलाये। ये प्रयोग 3 से 5 दिन तक हर रोज़ सुबह और शाम को करे। इस से चेचक, टाईफ़ाएड, और खसरा और आम बुखार में बेहद लाभ मिलता हैं।
खांसी, सर्दी, जुकाम, बुखार ये सभी एक साथ हो या इनमें से कोई एक हो तो सितोपलादी चूर्ण का प्रयोग करें। यदि बार बार सर्दी, जुकाम और बुखार हो जाता हो तो इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक शक्‍ित बढ जाती है और बार बार होने वाले खांसी, सर्दी, जुकाम और बुखार से मुक्‍ती मिलती है।
मात्रा —- आधा चम्‍मच चूर्ण 1 चम्‍मच शहद में मिलाकर प्रात: और सायंकाल खाली पेट सेवन करें। ये सभी आयुर्वेदिक औषधि की दुकान पर मिलती है।
तुलसी की 10-15 पत्तियों को 3 या 4 काली मिर्च के साथ पीसकर गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार पिलाये।
तुलसी और सूर्यमुखी के पत्ते पीसकर इनका रस पीने से सभी प्रकार के बुखार मिटते हैं तथा आलस्य आदि का भी निदान होता है। करीब तीन दिन तक प्रातः प्रयोग करें। ज्यादा हो तो प्रातः सायं करें।
तुलसी, काली मिर्च एवं गुड़ का काढ़ा बनाकर उसमें नींबू का रस डालकर गर्मागर्म पीने से मलेरिया बुखार मिटता है।
अदरक के रस को नींबू और तुलसी के रस के साथ शहद में डालकर लेने से खांसी-सर्दी या बुखार एवं सारे शरीर में होने वाली परेशानी मिटती है।
मालिश: – बुखार में  होने वाले शारीरिक दर्दों के निवारण के लिये हाथ ,पैर, ऊंगलियां गर्दन,सिर ,पीठ  पर सरसों के तैल की मालिश करवानी चाहिये। इससे  शारीरिक  पीडा शांत होगी और सूकून मिलेगा।बिजली चलित मस्राजर  का उपयोग भी किया जा सकता है।
चाय बनाते वक्त उसमें  आधा चम्मच दालचीनी का पावडर,,दो बडी ईलायची,  दो चम्मच  सूखे अदरक(सोंठ) का पावडर  डालकर खूब उबालें। दिन में २-३ बार यह काढा बनाकर पियें। बुखार का उम्दा ईलाज है।
रात को सोते वक्त त्रिफ़ला चूर्ण एक चम्मच  गरम जल के साथ लें।  त्रिफ़ला चूर्ण में ज्वर नाशक   गुण होते हैं।  इससे दस्त भी साफ़ होगा बुखार से मुक्ति का उत्तम उपचार है।
संतरा ज्वर रोगियों के लिये अमृत समान है।  इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है,तुरंत उर्जा मिलती है,और बिगडे हुए पाचन संस्थान को ठीक करता है।
एक प्याज को दो भागों में काटें। दोनों  पैर के तलवों पर रखकर पट्टी  बांधें। यह उपचार  रोगी के शरीर का तापमान सामान्य होने में मदद करता है।
फ्लू के बुखार में प्याज का रस बार-बार पीने से बुखार उतर जाता है तथा कब्ज में भी आराम मिलता है।
लहसुन की कली पांच से दस ग्राम तक काटकर तिल के तेल में या घी में तलकर सेंधा नमक डालकर खाने से सभी प्रकार का बुखार मिटता है। एक बार प्रयोग से भी लाभ मिल सकता है।
पुदीना का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर प्रत्येक दो घंटे में पीने से न्यूमोनिया का बुखार मिटता है।
बुखार के रोगी को क्या खाना चाहिये?
ज्वर रोगी को तरल भोजन देना चाहिये। गाढा भोजन न दें। सहज पचने वाले पदार्थ हितकारी हैं।उबली हुई सब्जियां,दही,और शहद का उपयोग करना चाहिये।ताजा फ़ल और फ़लों का रस पीना उपादेय है। १५० मिलि की मात्रा में गाय का दूध दिन में ४-५ बार पीना चाहिये।

पेट और वजन कम करने के बेहतरीन उपाय।

फैट को झट से घटा दे ये घरेलू तरीके

फैट को झट से घटा दे ये घरेलू तरीके
वजन कम करना और चर्बी को गला देना दोनों ही अलग अलग बातें हैं। आज कल हम तरह तरह के जंक फूड खाते रहते हैं , जिनमें खाघ पदार्थ और पोषण के नाम पर कुछ भी नहीं होता, लेकिन हां, इससे फैट खूब मिल जाता है। यही फैट आपके शरीर में जम जाता है जो कई दिनों तक रहने से विष का रूप ले लेता है। कुछ घरेलू उपायों से आप इस चर्बी तथा टॉक्‍सिन को अपने शरीर से निकाल सकते हैं। जब आप शरीर से इस फैट को निकालेगें तो आपके शरीर की सफाई भी होगी, जिससे पेट साफ रहेगा और त्‍वचा दमकने लगेगी। यह घरेलू उपचार हैं, जिनका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होगा और मोटापा भी अलग से दूर होगा। आप इन पेय को अपने घर पर ही बना सकते हैं। यह घरेलू पेय अभी से नहीं बल्कि कई दशको से अलग-अलग देशों में प्रयोग किये जाते आ रहे हैं। तो आइये देखते हैं कौन से हैं वे पेय जो शरीर से फैट को गला देते हैं।
नींबू, शहद और गरम पानी रोज सुबह खाली पेट इसे पीने से आपको पेट सही रहेगा, स्‍किन साफ रहेगी और मोटापा भी दूर रहेगा।
ग्रीन टी ग्रीन टी में एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो कि झुर्रियों को दूर रखती है। अगर आपको अपना मोटापा घटाना है तो ग्रीन टी को बिना चीनी मिलाए पियें।
लौकी जूस यह एक पौष्टिक सब्‍जी है। इसे पीने से पेट भर जाता है, इसमें फाइबर होता है और यह पेट को ठंडक पहुंचाती है। इसे पीने से घंटो तक पेट भरा रहता है और मोटापा भी कंट्रोल होता है।
एप्‍पल साइडर वेनिगर यह प्रूफ कर दिया गया है कि इसे पीने से मोटापा कम हो सकता है। आप एप्‍पल साइडर वेनिगर को पानी या जूस के साथ मिला कर पी सकते हैं। यह पाचन तंत्र को सही रखता है और कोलेस्‍ट्रॉल की समस्‍या से भी निजात दिलाता है।
धनिया जूस इस जूस को पीने से किडनी सही रहती है और मोटापा भी कंट्रोल रहता है। इसे पीने से पेट देर तक भरा रहता है और यह शरीर की शुद्धी करती है।
कैनबेरी जूस इसमें बहुत सारा विटामिन सी और एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो कि वेट लॉस करने में मदद करती है। इसके जूस में नींबू या सिरका मिला कर पीने से फैट बर्न होता है और साथ में टॉक्‍सिन से भी छुटकारा मिलता है।
मेपल सीरप और पानी मेपल सीरप को गरम पानी में मिलाएं और सुबह खाली पेट पियें। इस टिप को बॉलीवुड के कई सेलेब्रिटी भी करते हैं।
उबला सेब उबला हुआ सेब सेहत के लिये बहुत अच्‍छा होता है। इससे आपको फाइबर मिलेगा और आयरन भी। इसे पचाने में भी आसानी होती है और मोटापा भी घटता है।
डेन्‍डिलायन टी यह एक फूल की चाय होती है। बाजार में इसमें टी बैग भी मिल जाते हैं। इससे शरीर से अधिक मोटापा घटता है।
लाल मिर्च और अदरक ताजी अदरक को कूट कर उसमें लाल मिर्च मिला दें और इसका सेवन करें। यह दोनों मसाले मोटाप घटाने के लिये सबसे उत्‍तम उपचार हैं। यह फेफड़ों को भी साफ करते हैं और मोटापा भी घटाते हैं।
वजन कम करने के कुछ आसान घरेलू उपाय
अपने बढ़ते वजन पर ब्रेक लगाने के लिए आप क्या-क्या करते हैं? जिम में घंटों कसरत करते हैं, तरह-तरह के वेट लॉस पैकेज लेते हैं या फिर डाइटिंग के चक्कर में अपनी भूख मारते रहते हैं? हमारे पास आपके लिए कुछ ऐसे आसान घरेलू उपाय हैं जिन्हें आप अपने रुटीन में शामिल करके वजन पर नियंत्रण तो कर ही सकते हैं, साथ ही आपकी जेब भी ढीली नहीं होगी।
गर्म पानी के साथ शहद
रोजाना सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ शहद पीने से वजन घटाने में बहुत आसानी होती है। इससे शरीर में शुगर का लेवल मेनटेन रहता है और त्वचा भी दमकती है।
नींबू पानी
वजन घटाने के लिए रोज सुबह खाली पेट नींबू पानी का सेवन भी एक कारगर उपाय है। सर्दियों में जिन्हें ठंड या साइनस की समस्या है वे पानी को गुनगुना करके उसमें नींबू डालकर ‌पी सकते हैं।
टमाटर-दही का शेक
एक कप टमाटर के जूस में एक कप दही (फैट फ्री), आधा चम्मच नींबू का रस, बारीक कटा अदरक, काली मिर्च व स्वादानुसार नमक मिलाकर ब्लेंड कर लें। रोज एक ग्लास इस शेक को पीने से आपका वजन तेजी से गिरेगा।
खूब पानी पिएं
दिन में आठ से नौ ग्लास पानी पीने से भी वेट कम करने में मदद मिलती है। कई शोधों में माना गया है कि दिन में आठ से नौ ग्लास पानी से 200 से 250 कैलोरी आप बर्न कर सकते हैं।
ग्रीन टी
युनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में माना की ग्रीन टी में विशेष प्रकार के पोलीफेनॉल्स पाए जाते हैं जिससे शरीर में फैट्स को बर्न करने में मदद मिलती है।
करौंदे का जूस
करौंदे का जूस भी वजन घटाने में बहुत फायदेमंद है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और फैट्स कम करने में आसानी होती है।

पेट और वजन कम करने के 15 बेहतरीन उपाय।

पेट और वजन कम करने के 15 बेहतरीन उपाय।
1) सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें। केला और चीकू न खाएं। इनसे मोटापा बढ़ता है। पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा कम होता है।
2) खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद काली मिर्च व नमक डालकर खाएं। इनसे शरीर को विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन मिलेगा। इन्हें खाने के बाद खाने से पेट जल्दी भर जाएगा और वजन नियंत्रित हो जाएगा।
3) पपीता नियमित रूप से खाएं। यह हर सीजन में मिल जाता है। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।
4) दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।
5) छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।
6) आंवले व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ लें। कमर एकदम पतली हो जाएगी।
7) मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू पाया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
8) दो बड़े चम्मच मूली के रस में शहद मिलाकर बराबर मात्रा में पानी के साथ पिएं। ऐसा करने से 1 माह के बाद मोटापा कम होने लगेगा।
9) मालती की जड़ को पीसकर शहद मिलाकर खाएं और छाछ पिएं। प्रसव के बाद होने वाले मोटापे में यह रामबाण की तरह काम करता है।
10) रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पिएं। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की मात्रा कम होती है।
11) ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं से परहेज करें। ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं से परहेज करें। शक्कर, आलू और चावल में अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है। ये चर्बी बढ़ाते हैं।
12) केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं, सोयाबीन और चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।
13) रोज पत्तागोभी का जूस पिएं। पत्तागोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहता है।
14) एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।
15) सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से वसा में कमी होती है।

बाहर निकला हुआ पेट अंदर करने के कुछ आसान घरेलू तरीके

बाहर निकला हुआ पेट अंदर करने के कुछ आसान घरेलू तरीके
भारत में मोटे लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। आज करीब 4 करोड़ 10 लाख ऐसे लोग भारत में मौजूद हैं, जिनका वजन सामान्य से कहीं ज्यादा है। अधिकांश लोग शुरुआत में मोटापा बढ़ने पर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जब मोटापा बहुत अधिक बढ़ जाता है तो उसे घटाने के लिए घंटों पसीना बहाते रहते हैं।
मोटापा घटाने के लिए खान-पान में सुधार जरूरी है। कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं, जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। इसलिए यदि आप वजन कम करने के लिए बहुत मेहनत नहीं कर पाते हैं तो अपनाएं यहां बताए गए छोटे-छोटे उपाय। ये आपके बढ़ते वजन को कम कर देंगे।
1. ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं से परहेज करें। शक्कर, आलू और चावल में अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है। ये चर्बी बढ़ाते हैं।
2. केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाए गेहूं, सोयाबीन और चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।
3. रोज पत्तागोभी का जूस पिएं। पत्तागोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहता है।
4. पपीता नियमित रूप से खाएं। यह हर सीजन में मिल जाता है। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की अतिरिक्त चर्बी कम हो जाती है।
5. दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।
6. छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।
7. आंवले व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ लेंं। कमर एकदम पतली हो जाएगी।
8. मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू पाया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
9. एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।
10. सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें। केला और चीकू न खाएं। इनसे मोटापा बढ़ता है। पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा कम होता है।
11. खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद काली मिर्च व नमक डालकर खाएं। इनसे शरीर को विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन मिलेेगा। इन्हें खाने के बाद खाने से पेट जल्दी भर जाएगा और वजन नियंत्रित हो जाएगा।
12. सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से पेट अंंदर हो जाता है।

लीवर को रखें साफ़ घरेलु आसान तरीको से।

लीवर को रखें साफ़ घरेलु आसान तरीको से।

लीवर हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। लीवर पाचन तंत्र से खून को फ़िल्टर करने का काम करता है। लीवर की सेहत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता , क्योंकि हमारा पूरा शरीर का स्वस्थ लीवर पर निर्भर होता है। लेकिन आज के समय में स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान ना देने की वजह से कई लोगों के लीवर के स्वस्थ पर बुरा असर पड़ता है। कई बार गलत खाने -पीने की वजह से शरीर में लीवर की समस्या आ जाती है। लेकिन हम आपको कुछ घरेलू नुस्ख़े बताते हैं जैसे के पानी और शहद के साथ लीवर को कैसे स्वस्थ रखा जाये :
पानी और शहद : सुबह के समय गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से यह हमारी सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। शहद को गर्म पानी के साथ लेने से लीवर और वजन कम करने में मददत मिलती है। इससे और भी शरीर की कई समस्याओं में मददत मिलती है।
अच्छी पाचन शक्ति के लिए गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिलाकर पीने से पेट की सफाई होती है। यह लीवर में रस पैदा करता है , जिससे पाचन शक्ति में मदद मिलती है। नींबू में एसिड मौजूद होता है जो शरीरक शक्ति को मजबूत बनाता है। इसी तरह शहद शरीर में होने बाले संक्रमण को रोकता है।
शहद और पानी के सेवन से हमारे शरीर को काम करने की शक्ति मिलती है। इसके सेवन से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है। यह हमारे शरीर के अंगों को ठीक रखता है ,जिससे यह सही कार्य करते हैं।
शहद और पानी के साथ कब्ज दूर होती है। कब्ज होने पर रोज़ाना इस मिश्रण का सेवन करने से राहत मिलती है। इससे मल बाहर निकालने में भी मदद मिलती है।
लहसुन की एक कली में लीवर को स्वस्थ रखने के गुण होते हैं। जो शरीर में मौजूद हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। लहसुन में एलिसिन और सिलेनियम तत्व पाये जाते हैं , जो लीवर की साफ़ सफाई में सहायता करते हैं।
लीवर को साफ़ रखने के लिए सेब एक एहम भूमिका निभाता है। सेब में पेकिटन नामक तत्व पाया जाता है। यह तत्व शरीर को शुद्ध और पाचन शक्ति को ठीक रखता है।
लीवर की सफाई और इसे स्वस्थ रखने के लिए हरी सब्जियां एहम भूमिका निभाती हैं। इस पत्ते दार सब्जियों को आप कच्चा या पका कर और जा जूस के रूप में ले सकते हैं। यह शरीर में मौजूद हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती हैं।


लीवर की देखभाल

लीवर की परेशानी है तो जरुर पढ़े व् शेयर भी करे
आज कल चंहु और लीवर के मरीज हैं, किसी को पीलिया हैं, किसी का लीवर सूजा हुआ हैं, किसी का फैटी हैं, और डॉक्टर बस नियमित दवाओ पर चला देते हैं मरीज को, मगर आराम किसी को मुश्किल से ही आते देखा हैं।

लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्‍य अंग है, यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही मुश्‍किल है और फिर भी हम उसे जाने अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं।

* लीवर की खराबी होने का कारण ज्‍यादा तेल खाना, ज्‍यादा शराब पीना और कई अन्‍य कारणों के बारे में तो हम जानते ही हैं। हालाकि लीवर की खराबी का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में क्‍या क्‍या बदलाव पैदा होते हैं यानी की लक्षण क्‍या हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता।
वे लोग जो सोचते हैं कि वे शराब नहीं पीते तो उनका लीवर कभी खराब नहीं हो सकता तो वे बिल्‍कुल गलत हैं।

* क्‍या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू आना भी लीवर की खराबी हो सकती है। क्‍यों चौंक गए ना?

* हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्‍या आपका लीवर वाकई में खराब है। कोई भी बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप सावधान रहें।

* मुंह से बदबू -यदि लीवर सही से कार्य नही कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्‍योकि मुंह में अमोनिया ज्‍याद रिसता है।

* लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि स्‍किन क्षतिग्रस्‍त होने लगेगी और उस पर थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे की स्‍किन बहुत ही नाजुक होती है जिस पर आपकी हेल्‍थ का असर साफ दिखाई पड़ता है।

* पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा हो गया है, तो फिर आपको पानी भी नहीं हजम होगा।

* त्‍वचा पर सफेद धब्‍बे यदि आपकी त्‍वचा का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के धब्‍बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्‍पॉट के नाम से बुलाएंगे।

* यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज़ गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल पानी की कमी की वजह से हो सकता है।

* यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो आपको जौन्‍डिस हो सकता है। इसका यह मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित है।

* लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम होता है बाइल जो कि स्‍वाद में बहुत खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कडुआहर लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तब बाइल पहुंच रहा है।

* जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्‍सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं।

* मानव पाचन तंत्र में लीवर एक म‍हत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। विभिन्‍न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, डिटॉक्सीफिकेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्‍पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं।

करे ये घरेलू कुछ उपाय :-
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* हल्‍दी लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करने के लिए अत्‍यंत उपयोगी होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्‍दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पिएं

* सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्‍तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस म‍िश्रण को दिन में दो से तीन बार लें।

* आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए.

* पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें.

* सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा।

* लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्‍तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्‍तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं।

* फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्‍लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता है। टोस्‍ट पर, सलाद में या अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्‍तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है

* एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है।

* पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं

* सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं।

* एक पौधा और है जो अपने आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू- धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.तथा कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं . ये यकृत ( लीवर ) की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी

थायराइड के इलाज

थायराइड के इलाज के लिए करें अखरोट और बादाम का सेवन

● तितली के आकार की थॉयराइड ग्रंथि गले में पायी जाती है।
● यह ऊर्जा और पाचन की मुख्‍य ग्रंथि है, यह मास्‍टर लीवर है।
● अखरोट का सेवन करने से थॉयराइड ग्रंथि सुचारु हो जाती है।
● इसमें सेलेनियम नामक तत्‍व होता है जो थॉयरइड में प्रभावी है।
● थॉयराइड ग्रंथि की समस्‍या से ग्रस्‍त लोगों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है, खानपान में अनियमिता के कारण यह समस्‍या होती है। थॉयराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है जो गले में पाई जाती है। यह ग्रंथि उर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है। यह एक तरह के मास्टर लीवर की तरह है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं। इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्‍यायें होती हैं। अखरोट इस बीमारी के उपचार में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में विस्‍तार से जानें थॉयराइड फंक्‍शन और इसके उपचार के लिए अखरोट के सेवन के बारे में।
》 क्‍या है थॉयराइड समस्‍या :-
थॉयराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्‍योंकि इसके लक्षण व्‍यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्‍सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है।
》 थॉयराइड की समस्‍या दो प्रकार की होती है :-
हाइपोथॉयराइडिज्‍म और हाइपरथॉयराइडिज्‍म। थॉयराइड ग्रंन्थि से अधिक हॉर्मोन बनने लगे तो हाइपरथॉयरॉइडिज्म और कम बनने लगे तो हाइपोथायरॉइडिज्म होता है। थॉयराइड की समस्‍या होने पर थकान, आलस, कब्ज का होना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक ठंड लगना, भूलने की समस्‍या, वजन कम होना, तनाव और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
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》 अखरोट और बादाम है फायदेमंद :-
अखरोट और बादाम में सेलेनियम नामक तत्‍व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्‍या के उपचार में फायदेमंद है। 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। अखरोट और बादाम सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्‍म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है।
》 क्या हैं सेलीनियम :-
थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है इसे थायराइड-सुपर-न्युट्रीएंट भी कहा जाता है। यह थॉयराइड से सम्बंधित अधिकांश एंजाइम्‍स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, इसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगता है। यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें भी निर्भर करती है। यानी अगर शरीर में इस तत्‍व की कमी हो गई तो रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए खाने में पर्याप्‍त मात्रा में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है।
● थॉयराइड ग्रंथि की समस्‍या होने पर नमक का सेवन बढ़ा देना चाहिए, इसके अलावा स्‍वस्‍थ खानपान और नियमित रूप से व्‍यायाम को अपनी दिनचर्या बनायें।

हाइपर थाइरोइड और हाइपो थाइरोइड का घरेलु और सफल उपचार।

आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में ये समस्या आम सी हो गयी हैं, और अलोपथी में इसका कोई इलाज भी नहीं हैं, बस जीवन भर दवाई लेते रहो, और आराम कोई नहीं।
थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।
थॉयराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है जो गले में पाई जाती है। यह ग्रंथि उर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है। यह एक तरह के मास्टर लीवर की तरह है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं। इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्‍यायें होती हैं। इस लेख में विस्‍तार से जानें थॉयराइड फंक्‍शन और इसके उपचार के बारे में।
थॉयराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्‍योंकि इसके लक्षण व्‍यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्‍सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है।
* यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है।
* इसके अलावा यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।
*आमतौर पर शुरुआती दौर में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नहीं चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ सामान्य ही मान ली जाती है। और जब तक इसे गंभीरता से लिया जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है।
आखिर क्या कारण हो सकते है जिनसे थायराइड होता है।
* थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
* इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।
* कई बार कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव भी थायराइड की वजह होते हैं।
* थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।
* भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या पैदा करता है।
* सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण।
* जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।
* यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।
* ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।
* थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था, जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।
* रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।
थायराइड के लक्षण:–
कब्ज- थाइराइड होने पर कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। खाना पचाने में दिक्कत होती है। साथ ही खाना आसानी से गले से नीचे नहीं उतरता। शरीर के वजन पर भी असर पड़ता है।
हाथ-पैर ठंडे रहना- थाइराइड होने पर आदमी के हाथ पैर हमेशा ठंडे रहते है। मानव शरीर का तापमान सामान्य यानी 98.4 डिग्री फॉरनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) होता है, लेकिन फिर भी उसका शरीर और हाथ-पैर ठंडे रहते हैं।
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना- थाइराइड होने पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के चलते उसे कई बीमारियां लगी रहती हैं।
थकान– थाइराइड की समस्या से ग्रस्त आदमी को जल्द थकान होने लगती है। उसका शरीर सुस्त रहता है। वह आलसी हो जाता है और शरीर की ऊर्जा समाप्त होने लगती है।
त्वचा का सूखना या ड्राई होना– थाइराइड से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा सूखने लगती है। त्वचा में रूखापन आ जाता है। त्वचा के ऊपरी हिस्से के सेल्स की क्षति होने लगती है जिसकी वजह से त्वचा रूखी-रूखी हो जाती है।
जुकाम होना– थाइराइड होने पर आदमी को जुकाम होने लगता है। यह नार्मल जुकाम से अलग होता है और ठीक नहीं होता है।
डिप्रेशन- थाइराइड की समस्या होने पर आदमी हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है, दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है।
बाल झड़ना- थाइराइड होने पर आदमी के बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है। साथ ही साथ उसके भौहों के बाल भी झड़ने लगते है।
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और साथ ही साथ कमजोरी का होना भी थायराइड की समस्या के लक्षण हो सकते है।
शारीरिक व मानसिक विकास- थाइराइड की समस्या होने पर शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है।
अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई दे तो अपने डाक्टर से संपर्क करें आपको थाइराइड समस्या हो सकती है।

अति असरकारक घरेलु उपाय।
बहुत से भाई बहनो ने प्रश्न किया, आज आपको बताते हैं इसके साधारण मगर अति असरकारक घरेलु उपाय।
सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए, घर में ही गेंहू के जवारों का जूस निकाल कर पिए, इसके बाद एक गिलास पानी में हर रोज़ ३० मिली एलो वेरा जूस और २ बूँद तुलसी की डाल कर पिए, एलो वेरा जूस आपको किसी बढ़िया कंपनी का यूज़ करना होगा, जिसमे फाइबर ज़्यादा हो, सिर्फ कोरा पानी ना हो। बाजार से आज कल पांच तुलसी बहुत आ रही हैं, किसी बढ़िया कंपनी की आर्गेनिक पांच तुलसी ले। ये सब करने के आधे घंटे तक कुछ भी न खाए पिए, इस समय में आप प्राणायाम करे।
अखरोट और बादाम है फायदेमंद :-
अखरोट और बादाम में सेलेनियम नामक तत्‍व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्‍या के उपचार में फायदेमंद है। 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट और बादाम के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। अखरोट और बादाम सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्‍म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है।
इसके साथ में रात को सोते समय गाय के गर्म दूध के साथ 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करे।
इसके साथ प्राणायाम करना हैं, जिसे उज्जायी प्राणायाम बोलते हैं। इस प्राणायाम में गले को संकुचित करते हुए पुरे ज़ोर से ऊपर से श्वांस खींचनी हैं।
ये प्रयोग नियमित करना हैं। इस प्राणायाम का लिंक नीचे दिया गया हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=d8dd8gAxLDI
और जो भाई बहने ये प्रयोग करे वह अपना जवाब और इस प्रयोग के नतीजे हमसे ज़रूर शेयर करे।
आपकी सालो पुरानी बीमारी से आपको 1 महीने में इतना आराम मिलेगा के आप सोच भी नहीं सकते। और जब आपको आराम आ जाए तो कृपया हमारी तरफ से किसी नज़दीकी गौशाला में कुछ सेवा कर आये।
लौकी जूस और गेंहू के जवारों के लिए हमारी पुरानी पोस्ट पढ़ सकते हैं।