मंगलवार, 17 मार्च 2015

गाय का वैज्ञानिक महत्त्व

गाय का वैज्ञानिक महत्त्व
1) गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है,
जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन
ही छोड़ता है।
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2) गाय के मूत्र में पोटेशियम, सोडियम,
नाइट्रोजन, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड
होता है, दूध देते समय गाय के मूत्र में लेक्टोज
की वृद्धि होती है। जो हृदय रोगों के लिए
लाभकारी है।
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3) गाय का दूध फैट रहित परंतु
शक्तिशाली होता है उसे पीने से
मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर
रोग आदि में लाभ होता है। गाय के गोबर के
कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग
जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश होता है।
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4) गाय के समीप जाने से ही संक्रामक रोग
कफ सर्दी, खांसी, जुकाम का नाश
हो जाता है। गौमूत्र का एक पाव रोज़ सुबह
ख़ाली पेट सेवन करने से कैंसर जैसा रोग
भी नष्ट हो जाता है।
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5) गाय के सींग गाय के रक्षा कवच होते हैं।
गाय को इसके द्वारा सीधे तौर पर
प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है। यह एक प्रकार
से गाय को ईश्वर द्वारा प्रदत्त
एंटीना उपकरण है। गाय की मृत्यु के 45 साल
बाद तक भी यह सुरक्षित बने रहते हैं। गाय
की मृत्यु के बाद उसके सींग का उपयोग श्रेठ
गुणवत्ता की खाद बनाने के लिए प्राचीन
समय से होता आ रहा है।
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6) गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर
मात्रा में पाया जाता है। यह
रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है।
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7) हिंदुओं के हर धार्मिक कार्यों में सर्वप्रथम
पूज्य गणेश उनकी माता पार्वती को गाय के
गोबर से बने पूजा स्थल में रखा जाता है।
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8) गाय की उपस्थिति का पर्यावरण के लिए
एक महत्त्वपूर्ण योगदान है, प्राचीन ग्रंथ
बताते हैं कि गाय की पीठ पर के सूर्यकेतु
स्नायु हानिकारक विकिरण को रोक कर
वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं।
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9) कृषि में गाय के गोबर की खाद्य,
औषधि और उद्योगों से पर्यावरण में
काफ़ी सुधार है। जुताई करते समय गिरने वाले
गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वतः खाद
डलती जाती है। प्रकृति के 99% कीट
प्रणाली के लिये लाभ दायक है, गौमूत्र
या खमीर हुए छाछ से बने कीटनाशक इन
सहायक कीटों को प्रभावित नहीं करते एक
गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और
मूत्र 100 एकड़ भूमि की फसल को कीटों से
बचा सकता है।
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10) चाय, कॉफ़ी जैसे लोकप्रिय पेय
पदार्थों में दूध एक जरूरी पदार्थ है, भारत में
ऐसी अनेक मिठाइयाँ जो गौ दूध पर
आधारित होती है। दही, मक्खन और
घी भारतीय भोजन के आवश्यक अंग हैं। घी में
तले व्यंजनों का खाद अप्रतिम होता है। छाछ
न केवल प्यास बुझाती हैं बल्की बहुत से
प्रचलित व्यंजनों का आधार है।

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