सोमवार, 2 मार्च 2015

दूध पीने के नियम --

दूध पीने के नियम --
बोर्नविटा , होर्लिक्स के विज्ञापनों के
चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है
की बच्चों को ये सब डाल के दो कप दूध
पिला दिया बस हो गया . चाहे बच्चे दूध पसंद
करे ना करे , उलटी करे , वे किसी तरह ये
पिला के ही दम लेती है . फिर भी बच्चों में
केशियम की कमी , लम्बाई ना बढना ,
इत्यादि समस्याएँ देखने में आती है .आयुर्वेद के
अनुसार दूध पिने के कुछ नियम है ---
- सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध
लिया जा सकता है .
- दोपहर में छाछ पीना चाहिए .
दही की प्रकृति गर्म होती है ; जबकि छाछ
की ठंडी .
- रात में दूध पीना चाहिए पर बिना शकर के ;
हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच दाल के
ले . दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास
होती है वो हम शकर डाल देने के कारण अनुभव
ही नहीं कर पाते .
- एक बार बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू कर दे जैसे
रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल
और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने
लगता है . अब वे केल्शियम के लिए सिर्फ दूध
पर निर्भर नहीं .
- कपालभाती प्राणायाम और नस्य लेने से
बेहतर केशियम एब्ज़ोर्प्शन होता है और
केल्शियम , आयरन और विटामिन्स
की कमी नहीं हो सकती साथ ही बेहतर
शारीरिक और मानसिक विकास होगा .
- दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे
पदार्थ ना ले .त्वचा विकार हो सकते है .
- बोर्नविटा , कॉम्प्लान या होर्लिक्स
किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे
नहीं हो सकते . इनके लुभावने
विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए .
बच्चों को खूब चने , दाने , सत्तू , मिक्स्ड आटे
के लड्डू खिलाइए
- प्रयत्न करे की देशी गाय का दूध ले .
- जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर
है .
- दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और
दही ना मिलाये , खीर और कढ़ी एक साथ
ना खाए . खीर के साथ नामकी पदार्थ
ना खाए .
- अधजमे दही का सेवन ना करे .
- चावल में दूध के साथ नमक ना डाले .
- सूप में ,आटा भिगोने के लिए , दूध इस्तेमाल
ना करे .
- द्विदल यानी की दालों के साथ
दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है .
अगर करना ही पड़े तो दही को हिंग
जीरा की बघार दे कर उसकी प्रकृति बदल लें .
- रात में दही या छाछ का सेवन ना कर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें