सोमवार, 2 मार्च 2015

डेंगू रोग --

डेंगू रोग --
--ताजा गिलोय का एक इंच टुकड़ा प्रतिदिन प्रातः लेना व
नियमित अनुलोम विलोम प्राणायाम, भ्रस्त्रिका प्राणायाम
तथा घरेलू औषधीय मसालों पर आधारित
हर्बल चाय या काढ़ा जिसमें काली मिर्च, तेज
पत्ता, दालचीनी, लवंग, सोंठ,
अजवायन जैसे रोग प्रतिरोधी गुणों से युक्त
सामग्रियों के समावेशों का सेवन
अति उपयोगी है ।
--लाक्षणिक दृष्टि से अकस्मात् तेज बुखार, रक्तचाप
की कमी,
पसीना युक्त बुखार, आँखों में लालिमा, दिल
धड़कने की गति का कम हो जाना, आँखों में
जलन, पीठ के नीचले भाग
यानी कमर में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव,
आँखों के उपरी भाग पर दर्द, ठण्ड लगना,
बेचैनी तथा सिर में दर्द ये सब डेंगू के संभावित
संकेत हैं, जिसके लिए उपरोक्त योग व हर्बल नुस्खे
अवश्य लाभकारी सिद्ध हो सकते है।
-- गुरूच (गिलोय), तुलसी, गुड़, भूमि आंवला,
कुटकी और कालमेघ के समभाग मिश्रण
का काढ़ा डेंगू से बचाव के लिए एक विश्वसनीय
नुस्खा है। विजयसार की छाल व प्याज
का काढ़ा भी निश्चित
ही उपयोगी सिद्ध होगा।
'डेंगू रोग --
--ताजा गिलोय का एक इंच टुकड़ा प्रतिदिन प्रातः लेना व
नियमित अनुलोम विलोम प्राणायाम, भ्रस्त्रिका प्राणायाम
तथा घरेलू औषधीय मसालों पर आधारित
हर्बल चाय या काढ़ा जिसमें काली मिर्च, तेज
पत्ता, दालचीनी, लवंग, सोंठ,
अजवायन जैसे रोग प्रतिरोधी गुणों से युक्त
सामग्रियों के समावेशों का सेवन
अति उपयोगी है ।
--लाक्षणिक दृष्टि से अकस्मात् तेज बुखार, रक्तचाप
की कमी,
पसीना युक्त बुखार, आँखों में लालिमा, दिल
धड़कने की गति का कम हो जाना, आँखों में
जलन, पीठ के नीचले भाग
यानी कमर में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव,
आँखों के उपरी भाग पर दर्द, ठण्ड लगना,
बेचैनी तथा सिर में दर्द ये सब डेंगू के संभावित
संकेत हैं, जिसके लिए उपरोक्त योग व हर्बल नुस्खे
अवश्य लाभकारी सिद्ध हो सकते है।
-- गुरूच (गिलोय), तुलसी, गुड़, भूमि आंवला,
कुटकी और कालमेघ के समभाग मिश्रण
का काढ़ा डेंगू से बचाव के लिए एक विश्वसनीय
नुस्खा है। विजयसार की छाल व प्याज
का काढ़ा भी निश्चित
ही उपयोगी सिद्ध होगा।'

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