सोमवार, 7 सितंबर 2015

बुखार से बचने के लिए अपनाये ये घरेलु नुस्खे।

बुखार से बचने के लिए अपनाये ये घरेलु नुस्खे।

बुखार, आम बीमारी है तथा प्रत्येक घर-व्यक्ति को अनायास प्रभावित करता है। बुखार शरीर का कुदरती सुरक्षा तंत्र है जो  संक्रमण (इन्फ़ेक्शन)  से मुक्ति दिलाता है\ इसलिये बुखार कोई बीमारी नहीं है।  शरीर का बढा हुआ  तापमान रोगाणुओं के प्रतिकूल होता है।  लेकिन ज्वर जब 40 डीग्री  सेल्सियस अथवा 104 डीग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा हो जाता है तो समस्या गंभीर हो जाती है।
बुखार अगर 102 डीग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा न हो तो यह स्थिति  हानिकारक  नहीं  है।  इससे शरीर के विजातीय पदार्थों का निष्कासन होता है  और शरीर को संक्रमण से लडने में मदद मिलती है।मामूली बुखार होते ही घबराना और गोली-केप्सूल  लेना  उचित नहीं है।
बुखार मे अधिक पसीना होकर शरीरगत जल कम हो जाता है  इसकी पूर्ति के लिये उबाला हुआ पानी और फ़लों का जूस पीते रहना चाहिये। नींबू पानी बेहद लाभकारी है। इससे अधिक पेशाब और पसीना होकर शरीर की  शुद्धि होगी।जहरीले पदार्थ बाहर निकलेंगे।
यदि बुखार किसी इन्फेक्शन के कारण होता है तो ऐलोपौथिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार रोगी को एण्टीबायोटिक दवाई दी जाती है और कोर्स के रूप में तब तक दवा दी जाती है, जब तक इनफेक्शन समाप्त नहीं हो जाता। आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति रोग को दबाने की नहीं, रोग को कारण सहित जड़ से उखाड़कर फेंकने की है। आयुर्वेद ने ज्वर के 8 भेद बताए हैं यानी ज्वर होने के 8 कारण माने हैं।
1. वात 2. पित्त 3. कफ 4. वात पित्त 5. वात कफ 6. पित्त कफ 7. वात पित्त कफ। इनके दूषित और कुपित होने से तथा 8. आगन्तुक कारणों से बुखार होता है।
निज कारण शारीरिक होते हैं और आगंतुक कारण बाहरी होते हैं। निज एवं आगन्तुक ज्वर के भेद निम्नलिखित हैं-
निज : 1. मिथ्या आहार-विहार करने से हुआ ज्वर। 2. शरीर में दोष पहले कुपित होते हैं लक्षण बाद में प्रकट होते हैं। 3. दोष भेद से ज्वर 7 प्रकार का होता है। 4. चिकित्सा दोष के अनुसार होती हैं।
आगन्तुक : 1. अभिघात, अभिषंग, अभिचार और अभिशाप के कारण ज्वर का होना। 2.शरीर में पहले लक्षण प्रकट होते हैं, बाद में दोषों का प्रकोप होता है। 3. कारण भेद से अनेक प्रकार का होता है। 4. चिकित्सा का निर्णय कारण के अनुसार होता है।

ऐसे में घर में किये जाने वाले उपचार। 
ठंडे पानी की पट्टी : – ज्वर 104 या अधिक डिग्री तक पहुंच गया हो तो सिर पर ठंडे पानी की पट्टी बार-बार रखने, पैरों के तलुओं में लौकी का गूदा पानी के छींटे मारते हुए घिसने और बाद में दोनों तलुओं में 1-1 चम्मच शुद्ध घी मसलकर सुखा देने से ज्वर उतर जाता है या हल्का तो होता ही है।
पीपल की 3 या 5 पत्तिया ले, पत्तियों की डंडी तोड़ दे, इन पत्तो को १ गिलास पानी में उबाले और एक चौथाई रहने पर इस को गुनगुना ही रोगी को पिलाये। ये प्रयोग 3 से 5 दिन तक हर रोज़ सुबह और शाम को करे। इस से चेचक, टाईफ़ाएड, और खसरा और आम बुखार में बेहद लाभ मिलता हैं।
खांसी, सर्दी, जुकाम, बुखार ये सभी एक साथ हो या इनमें से कोई एक हो तो सितोपलादी चूर्ण का प्रयोग करें। यदि बार बार सर्दी, जुकाम और बुखार हो जाता हो तो इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक शक्‍ित बढ जाती है और बार बार होने वाले खांसी, सर्दी, जुकाम और बुखार से मुक्‍ती मिलती है।
मात्रा —- आधा चम्‍मच चूर्ण 1 चम्‍मच शहद में मिलाकर प्रात: और सायंकाल खाली पेट सेवन करें। ये सभी आयुर्वेदिक औषधि की दुकान पर मिलती है।
तुलसी की 10-15 पत्तियों को 3 या 4 काली मिर्च के साथ पीसकर गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार पिलाये।
तुलसी और सूर्यमुखी के पत्ते पीसकर इनका रस पीने से सभी प्रकार के बुखार मिटते हैं तथा आलस्य आदि का भी निदान होता है। करीब तीन दिन तक प्रातः प्रयोग करें। ज्यादा हो तो प्रातः सायं करें।
तुलसी, काली मिर्च एवं गुड़ का काढ़ा बनाकर उसमें नींबू का रस डालकर गर्मागर्म पीने से मलेरिया बुखार मिटता है।
अदरक के रस को नींबू और तुलसी के रस के साथ शहद में डालकर लेने से खांसी-सर्दी या बुखार एवं सारे शरीर में होने वाली परेशानी मिटती है।
मालिश: – बुखार में  होने वाले शारीरिक दर्दों के निवारण के लिये हाथ ,पैर, ऊंगलियां गर्दन,सिर ,पीठ  पर सरसों के तैल की मालिश करवानी चाहिये। इससे  शारीरिक  पीडा शांत होगी और सूकून मिलेगा।बिजली चलित मस्राजर  का उपयोग भी किया जा सकता है।
चाय बनाते वक्त उसमें  आधा चम्मच दालचीनी का पावडर,,दो बडी ईलायची,  दो चम्मच  सूखे अदरक(सोंठ) का पावडर  डालकर खूब उबालें। दिन में २-३ बार यह काढा बनाकर पियें। बुखार का उम्दा ईलाज है।
रात को सोते वक्त त्रिफ़ला चूर्ण एक चम्मच  गरम जल के साथ लें।  त्रिफ़ला चूर्ण में ज्वर नाशक   गुण होते हैं।  इससे दस्त भी साफ़ होगा बुखार से मुक्ति का उत्तम उपचार है।
संतरा ज्वर रोगियों के लिये अमृत समान है।  इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है,तुरंत उर्जा मिलती है,और बिगडे हुए पाचन संस्थान को ठीक करता है।
एक प्याज को दो भागों में काटें। दोनों  पैर के तलवों पर रखकर पट्टी  बांधें। यह उपचार  रोगी के शरीर का तापमान सामान्य होने में मदद करता है।
फ्लू के बुखार में प्याज का रस बार-बार पीने से बुखार उतर जाता है तथा कब्ज में भी आराम मिलता है।
लहसुन की कली पांच से दस ग्राम तक काटकर तिल के तेल में या घी में तलकर सेंधा नमक डालकर खाने से सभी प्रकार का बुखार मिटता है। एक बार प्रयोग से भी लाभ मिल सकता है।
पुदीना का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर प्रत्येक दो घंटे में पीने से न्यूमोनिया का बुखार मिटता है।
बुखार के रोगी को क्या खाना चाहिये?
ज्वर रोगी को तरल भोजन देना चाहिये। गाढा भोजन न दें। सहज पचने वाले पदार्थ हितकारी हैं।उबली हुई सब्जियां,दही,और शहद का उपयोग करना चाहिये।ताजा फ़ल और फ़लों का रस पीना उपादेय है। १५० मिलि की मात्रा में गाय का दूध दिन में ४-५ बार पीना चाहिये।

2 टिप्‍पणियां: