सोमवार, 7 सितंबर 2015

क्या आपके टूथ पेस्ट में चारकोल हैं

क्या आपके टूथ पेस्ट में चारकोल हैं, और क्या आप अब तक मुर्ख बनते आये हो और आगे भी स्वदेशी या विदेशी के नाम पर बनते आओगे तो कोई नयी बात नहीं, क्यों के हम बेवकूफ थे हैं और रहेंगे।
पहले विदेशी लोग हमको अनपढ़ और गंवार कहते थे क्यों के हम भारतवासी नमक, नीम्बू, कोयले, नीम, बबूल, शीशम या किसी पेड़ की दातुन से अपने दांत साफ़ करते थे। तब हमने क्या किया, अपनी सब चीजे फेंक कर बन गए अंग्रेज, और आज वह हम से ये पूछते हैं के क्या हमारे टूथ पेस्ट में नमक, नीम, नीम्बू या कोयला हैं।
सही में लोग कितने बेवकूफ और मुर्ख बने ये आज अहसास हुआ जब टेलीविज़न पर ऐसी ऐड आती हैं, और हम बेवकूफो को अब भी ये समझ नहीं आती।
वैसे तो हर बार खाने के बाद दांत साफ़ करने चाहिए, कई लोग दांतों को बहुत जोर लगाकर ब्रश से साफ करते हैं, जोकि गलत है। ब्रश से आपके दांत साफ़ नहीं होते अपितु घिस जाते हैं। दांतों को हमेशा दातुन या मंजन से साफ करना चाहिेये। इसमें सामान्तया नीम, बबूल, या शीशम की दातुन या कोई आयुर्वेदिक मंजन इस्तेमाल करे, इस से आपके दांत स्वस्थ और मज़बूत रहेंगे। कई गाँवो में तो अब भी कुछ लोग चूल्हे की राख से मंजन करते हैं, और उनके दांत 100 साल की उम्र में भी बिलकुल स्वस्थ हमने देखे हैं। इसका ताज़ा उदहारण विदेशी कंपनिया हैं जो अब अपना उत्पाद ये कह कर बेच रही हैं के उस में नमक, नीम, नीम्बू या चारकोल हैं, जबकि हमारे पूर्वज तो कब से इस रहस्य को जानते थे, मगर उन्होंने पहले हमको ये कह कर मुर्ख बनाया के हम लोग कोयले से नमक से, नीम से, या नीम्बू से दांत घिसते हैं, और आज झक मार कर उन्होंने इस को स्वीकार किया, मगर हमको किस पागल कुत्ते ने काटा हैं, जो हम इसको स्वीकार नहीं कर पा रहे। आज से 50 साल पहले तक ये डेंटिस्ट वगैरह नहीं थे, और थोड़ा बहुत जो ज़रूरी होता था वह गाँव का वैद ही कर दिया करता था, आज तो डेंटिस्ट ही डेंटिस्ट हैं, और देशी से विदेशी कम्पनियो के उत्पादों की भरमार हैं फिर भी ना तो हमारे दांत स्वस्थ हैं ना ही हमारे बच्चो के। तो क्या हम ऊपर से ये लिखवा के लाये हैं के हम हमेशा से बेवकूफ थे और बेवकूफ ही रहेंगे।
कोलगेट पेप्सोडेंट क्लोज अप आदि सेहत के लिए ऐसी घातक है के ये धीरे धीरे आपको मौत के मुह में ले कर जाती हैं, जब ये चीजे आपके मुह में जाती हैं तो ये कहना कोई गलत नहीं होगा के चाहे थोड़ी मात्रा में ही सही ये आपके शरीर में प्रविष्ट करती हैं, तो क्या आप खतरों के खिलाडी हो, और ये खतरे अपने बच्चो पर भी आज़माना चाहते हो। और ये कंपनिया खुद भी मानती हैं के अगर कोई आदमी या बच्चा ये निगल ले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए क्यों के इस से कैंसर तक हो सकता हैं, जहाँ से ये कंपनिया आती हैं, इनके देश के अपने कानून इतने कड़े हैं वह इनको ये लिखना पड़ता हैं के इसकी बहुत थोड़ी मात्रा इस्तेमाल करे, और गलती से निगल से तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे और 5 साल से छोटे बच्चो को इस से दूर रखे और अगर वो करे तो किसी निरीक्षक की देख रेख में। और हम यहाँ खुद अपने बच्चो को ब्रश पर बड़ी सी पेस्ट लगा कर देते हैं और खुश होते हैं के हमारे बच्चे ने ब्रश करना सीख लिया, वरन उसको बीमारियो के मुह में खुद ही भेज रहे हैं। इसलिए सावधान। आज ही इनको अपने घर से बाहर निकालिये, और काले अंग्रेजो से भी बचे, जो भारतीय कंपनिया भी आपको पेस्ट दे रही हैं, वो भी आपकी मित्र नहीं, आप बचना चाहते है तो सिर्फ मंजन या दातुन ही कीजिये।
जब आप अगली बार बाजार से ये कोई भी टूथ पेस्ट चाहे वो स्वदेशी हो चाहे वो विदेशी हो ले कर आये तो ये सोच कर लाना के आप घर में अपने और अपने बच्चो के लिए कैंसर ले कर आ रहे हैं।
राजीव दिक्सित भाई के विचारो से प्रेरित।

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