मंगलवार, 18 अगस्त 2015

गुणकारी है तिल का तेल

गुणकारी है तिल का तेल
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एंटीऑक्‍सीडेंट
तिल का तेल एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर होता है। वाइरस, एजिंग और बैक्‍टीरिया से जितने भी नुकसान शरीर के ब्‍लडस्‍ट्रीम के अदंर पहुचे हैं यह उसको सही करता है।
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हैंगवोर से बचाए
सीसम में सीसेमिन नामक तत्‍व पाया जाता है जो कि लीवर को बचाता है जो कि ज्‍यादा शराब पीने के कारण हुआ हो।
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मधुमेह
2011 में एक स्‍टडी के मुताबिक बताया गया था कि तिल का तेल मधुमेह रोगियों, जो कि टाइप 2 डायबीटीज से पीडि़त हैं उनके लिये दवा का काम करता है।
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त्‍वचा की देखभाल
इसमें विटामिन ई और विटामिन बी पाया जाता है जो कि त्‍वचा को जवां और चमकदार बनाता है।
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जिन लोगो को गठिया का दर्द है उन्हें तिल के टेल से मालिश करना चाहिए;इससे सूजन और दर्द कम होता है।
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मौखिक स्वास्थ्य
यह तेल दांत की सड़ान और मसूडों से खून को बहने से रोकता है तथा दांत, मसूडों और जबड़े को मजबूत बनाने के लिए काम आता है।
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सर्दी-जुखाम
सीने में जमाव और साइनस की समस्‍या को दूर करना है तो इस तेल को बस सूंघ लें और फिर सर्दी जुखाम से मुक्‍त हो जाएं।
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रूसी
इस तेल को बालों में नियमित रूप से लगाएं और रूसी से मुक्‍ती पाएं।
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सोंडियम में कमी लाए
एक स्‍टडी में बताया गया है कि सीसम के तेल का सेवन करने से ना केवल ब्‍लड़ प्रेशर कम होता है बल्कि यह शरीर में सोडियम की मात्रा को भी कम करने में असरदार है।
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कैल्‍शियम
यह तेल हड्डी को मजबूत बनाता है, सिरदर्द भगाता है और पीएमएस सिंड्रोम जैसी बीमारी को भी दूर करता है।
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तनाव मुक्‍ती
अगर आप इस तेल का नियमित उपयोग करेंगे तो आपका तनाव, थकान, अनिंद्रा जैसी परेशानियां ठीक होंगी।
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कैंसर से बचाव
इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट तथा मज़बूत प्राकृतिक पदार्थ होता है जो कि कैंसर विरोधी होता है। इससे शरीर में कैंसर सेल की ग्रोथ नही हो पाती।
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मालिश के लिये उपयोग
तिल के तेल को आसानी से त्वचा में प्रविष्ट होने वाला माना जाता है। इससे शिशु की मालिश करने से बच्‍चे की बढत होती है और उसे ताकत मिलती है।
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हमारे घरों में लगभग हर तरह के तेल उपयोग होते हैं, चाहे वह खाने का तेल हो या सिर में लगाने का। सरसों, नीम, तिल, आलिव आयल, सोयाबीन, मूंगफली, नारियल तेल आदि तेलों में बडे़ ही गुण पाए जाते हैं। इसी तरह से तिल का तेल भी बहुत ही स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक माना जाता है। तिल का तेल तिल के बीजों से प्राप्त एक खाने योग्य वनस्पति तेल है। दक्षिण भारत में खाना पकाने के तेल के रूप में इस्तेमाल किये जाने के साथ ही इसका प्रयोग अक्सर चीनी, कोरियाई और कुछ हद तक दक्षिण पूर्व एशियाई भोजन में स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
सर्दियों के मौसम में तिल के तेल की मालिश करने से ठंड से बचाव होता है। तिल और मिश्री का काढ़ा बनाकर खांसी में पीने से जमा हुआ कफ निकल जाता है। इसी तरह से अगर किसी को बिच्छू ने काट लिया हो तो तिल के पत्ते को पीसकर डंक वाले स्थान पर लगाने से जहर उतर जाता है। इन सब के अलावा तिल का लड्डू भी बनाया जाता है, इसे खाने से शरीर में ताकत आती है।
पोषक तत्वों से समृद्ध बीज से प्राप्त तेल वैकल्पिक चिकित्सा - पारंपरिक मालिश और आधुनिक मनपसंद उपचार में लोकप्रिय है। प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणालियों का मानना है कि तिल का तेल तनाव से संबंधित लक्षणों को शांत करता है और इस पर हो रहे अनुसंधान इंगित करते है कि तिल के तेल में मौजूद ऑक्सीकरण रोधक और बहु-असंतृप्त वसा रक्त-चाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा ही हिंदू धर्म में, तिल या तिल के तेल का मंदिरों में देवताओं के सामने रखे दिये में प्रयोग किया जाता है। तिल के तेल का हिन्दू मंदिरों में पूजा करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, दक्षिण भारत में विशेष रूप से, मंदिर में पत्थर के देवताओं पर तिल का तेल लगाया जाता है। इसका प्रयोग केवल काले ग्रेनाइट से बनी देव प्रतिमाओं पर करते है।

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