मंगलवार, 18 अगस्त 2015

लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्य अंग है,

लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्य अंग है,
यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य
नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे
की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के
लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही
मुश्किल है और फिर भी हम उसे जाने
अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं।
* लीवर की खराबी होने का कारण
ज्यादा तेल खाना, ज्यादा शराब पीना
और कई अन्य कारणों के बारे में तो हम
जानते ही हैं। हालाकि लीवर की खराबी
का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब
खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में
क्या क्या बदलाव पैदा होते हैं यानी की
लक्षण क्या हैं, इसके बारे में कोई नहीं
जानता। वे लोग जो सोचते हैं कि वे शराब
नहीं पीते तो उनका लीवर कभी खराब
नहीं हो सकता तो वे बिल्कुल गलत हैं।
* क्या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू
आना भी लीवर की खराबी हो सकती है।
क्यों चौंक गए ना?
* हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे
आप पता लगा सकते हैं कि क्या आपका
लीवर वाकई में खराब है। कोई भी
बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत
दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप
सावधान रहें।
* मुंह से बदबू -यदि लीवर सही से कार्य
नही कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू
आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्योकि मुंह
में अमोनिया ज्याद रिसता है।
* लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि
स्किन क्षतिग्रस्त होने लगेगी और उस पर
थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे
की स्किन बहुत ही नाजुक होती है जिस
पर आपकी हेल्थ का असर साफ दिखाई
पड़ता है।
* पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर
पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा
हो गया है, तो फिर आपको पानी भी
नहीं हजम होगा।
* त्वचा पर सफेद धब्बे यदि आपकी त्वचा
का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के
धब्बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्पॉट के
नाम से बुलाएंगे।
* यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज़ गहरे
रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि
ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल
पानी की कमी की वजह से हो सकता है।
* यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला
नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो
आपको जौन्डिस हो सकता है। इसका यह
मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित
है।
* लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका
नाम होता है बाइल जो कि स्वाद में बहुत
खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कडुआहर
लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तब
बाइल पहुंच रहा है।
* जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में
सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्सर
मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं।
* मानव पाचन तंत्र में लीवर एक महत्वपूर्ण
हिस्सा है। विभिन्न अंगों के कार्यों
जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण,
विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना,
डिटॉक्सीफिकेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली
का समर्थन और रसायनों का उत्पादन
शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस,
दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर
को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां
दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर
को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते
हैं।
करे ये घरेलू कुछ उपाय :-
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* हल्दी लीवर के स्वास्थ्य में सुधार करने के
लिए अत्यंत उपयोगी होती है। इसमें
एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और
एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है।
हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता
हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले
वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए
हल्दी को अपने खाने में शामिल करें या
रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में
थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पिएं
* सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले
पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता
है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से
शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को
आप कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं- एक
गिलास पानी में एक चम्मच सेब का
सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक
चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को दिन
में दो से तीन बार लें।
* आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न
स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर
की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद
करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि
आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले
सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्वास्थ्य के
लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने
चाहिए.
* पपीता लीवर की बीमारियों के लिए
सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक
है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए।
हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा
चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस
बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए
इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों
के लिए करें.
* सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के
स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में
से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस
चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें
तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को
छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़
का पाउडर बड़ी आसानी से मिल
जाएगा।
* लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए
मुलेठी का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक
औषधियों में किया जाता है। इसके
इस्तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का
पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें।
फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी
पानी को दिन में एक या दो बार पिएं।
* फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के
कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्लड
में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को
कम करता है। टोस्ट पर, सलाद में या
अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर
इस्तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर
रखने में मदद करता है
* एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में
शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के
आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और
अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा
विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर
इसकी सफाई करता है।
* पालक और गाजर का रस का मिश्रण
लीवर सिरोसिस के लिए काफी
लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस
और गाजर के रस को बराबर भाग में
मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए
इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम
एक बार जरूर पिएं
* सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद
पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त
पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की
रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी
सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं।
* एक पौधा और है जो अपने आप उग आता
है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती
है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे
छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे
आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते
है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू-
धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा
लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका
सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया
जा सकता है.तथा कई बाज़ीगर भुई
आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक
को चबा जाते हैं .
* क्या आप जानते है ये यकृत ( लीवर ) की
यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है .
लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो
यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा .
बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया
है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर ,
उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग
का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से
बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और
पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी

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